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UTTAR PRADESH


RAM SARAN VERMA

KRISHI GAURAV

HARIT KRANTI KI SAFAL GATHA



राम सरन वर्मा, ग्राम व पोस्ट दौलतपुर, विकास खण्ड हरख, थाना जैदपुर बाराबंकी, उत्तर प्रदेश के निवासी हैं। इनका जन्म 1968 में साधारण कृषक परिवार में हूआ तथा यह मैट्र्कि पास हैं। इन्होनें वर्ष 1985 में अपनी पैत्रक 6 एकड़ धान-गेंहॅू की परम्परागत खेती प्रारम्भ की और अथक परिश्रम करने के बाद भी प्रति वर्ष केवल रू.20,000 तक की कमा सके। खेती की पारम्परिक विधा से निरन्तर घटती आय से त्रस्त होकर इन्होंने आधुनिक कृषि में ऊतक संवर्द्धन ;टिश्यू कल्चरद्ध को जानने के बाद कई राज्यों (पंजांब, हरियाणा, महाराष्ट्र्, गुजरात, राजस्थान, कर्नाटक, तमिलनाडू, बिहार एंव उत्तर प्रदेश) के प्रगतिशील कृषकों के प्रक्षेत्रों, शोध संस्थानाों, किसान मेलों, कृषि प्रदर्शिनियों का भ्रमण किया। ये सदैव खेती में कुछ नया करने का विचार करते रहते थे, और इन्ही विचारों से प्रेरित होकर इन्होंने अपनी परम्परागत कृषि पद्धति को भागवानी की उन्नत विधा से विविधिकरण करते हेए वर्ष 1990 में सर्वप्रथम हरीछाल केले की खेती प्रारम्भ की जिसमें इन्हें काफी सफलता मिली, केले की खेती इस विधा से प्रोत्साहित होकर अपनी भूमि के साथ-साथ किसानों की 90 एकड़ भूमि पर फसलचक्र अपनाते हुए केला, टमाटर, आलू एंव मैंथा की सहकारिता आधरिता खेती कर रहे हैं।
‘‘90 एकड़ भूमि पर ऊतक संवद्धित केला, आलू, संकअ, टमाटर का त्रिवर्षीय फसल चक्र अपनाते हुए वरूवसायिक खेती कर रहा हूॅं। इसके अतिरिक्त कभी-कभी खाली भूमि पर मेंथा से खली भी करता हॅू। मेरे द्वारा अपनाई जा रही कुषि तकनीक से मुझे ऊतक संवद्धित केले की खेती से रू.2.09 लाख केले की पेड़ी फसल से रू.2.15 लाख, आलू की खेती से रू.0.55 लाख एंव संकर टमाटर की खेती से रू.1.55 लाख का शुद्ध लाभ वर्तमान में प्राप्त हो रहा है। मेंथा से भी प्रति हेस्टेयर रू.0.32 लाख प्रति एकड़ तक की आय प्राप्त हो जाती है।’’
वर्ष 1990 से लगभग एक लाख किसान भाई इनकी तकनीक अपनाकर बेहतर जीवन यापन कर रहे है। वर्तमान में लगभग 70-80 ग्रामीण कृषक मजदूरों को गाॅंव में ही रोजगार प्राप्त हो रहा है और वर्ष भर में लगभग पच्चीस हजार रोजगार दिवस सृजित हो रहे है। इसके साथ-साथ इनके गाॅव के आस-पास के लगभग 20 किमी. परिधि के कृषक भाई तथा प्रदेश के लगभग 50 हजार कृषक इनके माॅडल को अपनाकर उन्नत ख्ेाती कर रहे है जिससे एक नई कृषि क्रान्ति आई है। इन किसान भाइयों के उत्पादन की बिक्री हेतु उन्हें बाजार से भी जोड़ा गया है ताकि उन्हें अच्छा मूल्य प्राप्त हो सके और खेती में लाभ बढ़ सके।
राम सरन जी का कहना है कि ‘‘मैं पौधों को अपने बच्चे की तरह तथा खेत को परिवार की तरह समझता हूॅ और उनकी आवश्यकताओं को समय रहते पूर्ण करता हॅू।’’ पूर्वी उत्तर प्रदेश में टिश्यू कल्चर केला की व्यवसाहिक खेती इनके द्वारा ही प्रारम्भ की गयी। इन्होंने टमाटर की स्टेकिंग, टिश्यू कल्चर केला तथा इसकी पेड़ी ;द्वितीयद्ध खेती की उन्नत तकनीक, आलू बुवाई की नवीन तकनीक, मैंथा आयल निकालने की नई विधि तथा कृषि यंत्रों से सुगमता एंव कुशलता से कार्य करने हेतु उनमें आवश्यक सुधार करते हुए कई अनुसंधान/आविष्कार भी किये हैं जिनसे कम लागत में अधिक लाभ प्राप्त किया जा सकता है। अपने खेत पर उगाई जा रही फसलों की विभिन्न प्रजातियों से प्राप्त होन वाली उपज के सम्बन्ध में भी कई प्रकार के प्रयोग करतेरहता हैं जिसका लाभ इन्हें मिल रहा है। इनके द्वारा खेती में किय गये प्रयोंगो से यह बिल्कुल स्पष्ट हो गया है कि फसल चक्र अपनाने से खाद-उर्वरकों पर होने वाले व्यय को 30 प्रतिशत तक कम करते हुए 30 प्रतिशत तक अधिक पैदावार प्राप्त कर अधिक लाभ कमाया जा सकता है। इसके साथ-साथ समतल खेत, गोबर की खाद का प्रयोग तथा समय से बुवाई करके पैदावार बढ़ाई जा सकती है। इन नई खोजों की जानकारी किसान भाईयों तक पहुचाने के लिए यह अपने फार्म पर समय-समय पर किसान गोष्ठियाॅं एंव कृषक-वैज्ञानिक सम्मेलनों का आयोजन करते रहते हैं। साथ ही साथ निःशुल्क परामर्श, प्रचार-प्रसार साहित्य एंव वेबसाइट के माध्यमों से भी यह अपनी नवीन तकनीकी की जानकारी किसान भाइयों तक पहुॅचाते रहते हैं।
इनके हाईटेक कृषि फार्म को देखने के लिए प्रदेश एंव देश के एक लाख से अधिक किसान भाईयों, वरिष्ठ अधिकारियों, कृषि वैज्ञानिकों, विदेशी वैज्ञानिकों, विशेषज्ञों एंव प्रतिनिधि मण्डल के साथ-साथ उत्तर प्रदेश के महामहिम राज्यपाल जी, प्रदेश के विभिन्न विभागों के माननीय मंत्रियों ने भी भ्रमण किया है। वर्तमान में प्रतिदिन लगभग 40-50 कृषक एंव वैज्ञानिक इनके फार्म का भ्रमण करते है। इनकी खेती के प्रति निष्ठा एंव लगन देखते हुए इन्हें भारत सरकार द्वारा ‘‘जगजीवन राम किसान राष्ट्र्ीय पुरस्कार‘‘, ‘‘एग्रीकल्चर लीडरशिप अवार्ड’’ तथा उ.प्र. सरकार ने ‘‘उद्यान पंिडत’’, ‘‘चैधरी चरण सिंह’’ सम्मान एंव ‘‘नव अन्वेषक किसान’’ पुरस्कार जैसे कई सम्मान दिये है।

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